अयोध्या में, हनुमान जी की प्रतिमा मंदिर के रूप में है। यहां भक्तों द्वारा हनुमान जी की पूजा अर्चना होती है। हनुमान गढ़ी में, हनुमान जी को सीधे चढ़ते देखा जा सकता है, और यहां आने वाले भक्तों को उनकी कृपा और आशीर्वाद मिलता है।
अयोध्या, भगवान राम की जन्मभूमि के रूप में भी प्रसिद्ध है, और इस शहर में अनेक धार्मिक तीर्थ स्थल हैं, जिनमें हनुमान गढ़ी भी शामिल है। भक्त लोग हनुमान गढ़ी के दर्शन के लिए अयोध्या की यात्रा करते हैं और हनुमान जी की पूजा भक्ति भाव से करते हैं।
हनुमान जी, भगवान राम से मिलने के लिए लंका जा कर उनसे मुलाक़ात किये थे। हनुमान जी का प्रमुख कार्य रामायण में लंका प्रवेश और सीता माता के साथ मिलन का है।
हनुमान जी लंका में सीता माता से मुलाक़ात करके उन्हें राम का संदेश सुना कर आयेंगे बतायें और सीता माता से एक चूड़ामणि (अंगूठी) दी थी। हनुमान जी ने लंका में एक बड़ा भयंकर अग्नि-प्रवेश किया और फिर राम से मिलने के लिए तैयार हो गए।
हनुमान जी ने राम, लक्ष्मण और विभीषण (लंका के विभीषण राजा) के साथ मिलकर किष्किंधा से लंका तय किया। हनुमान जी का राम से पहली बार मिलन सुंदर कांड में वर्णित है, जब उन्हें राम से मुलाकात की। उनकी भक्ति और सेवा भावना राम को बहुत प्रभावित करती है, और राम ने उन्हें आशीर्वाद दिया।
इस प्रकार, हनुमान जी भगवान राम से मुलाकात लंका में किये गये कार्यक्रम के दौरान हुई, जिसका उनका महत्व और भक्ति का प्रदर्शन किया गया।
हनुमान जी का जन्म सुंदरकांड के अनुसर किष्किंधा क्षेत्र में हुआ था। किष्किंधा क्षेत्र का उल्लेख वाल्मिकी रामायण में मिलता है। हनुमान जी का जन्म केसरी, जो एक वानर राजा थे, और अंजना, एक अप्सरा, के पुत्र के रूप में हुआ था।
हनुमान जी के जन्म की कथा के अनुसर, केसरी और अंजना पुत्र की इच्छा से संतान प्राप्ति यज्ञ का अनुष्ठान करते थे। पवन देव (वायु देव), जो हनुमान जी के इष्टदेव हैं, उनकी इच्छा से अंजना को एक अशुभ प्राप्त हुआ, और इस प्रकार हनुमान जी का जन्म हुआ।
हनुमान जी का जन्म इस क्षेत्र में हुआ, और उनका बचपन किष्किंधा क्षेत्र में ही गुजरा। हनुमान जी की बाल कथा, उनके बचपन की लीलाएं, और उनका बजरंगबली के रूप में विकास, रामायण में विविध प्रकार से व्यक्त किये गये हैं।